"निरंतर" की कलम से....
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मुझे पसंद
आये या ना आये
तुम्हारी हर बात का
उत्तर देना आवश्यक नहीं
अगर उत्तर
पसंद नहीं आया तुमको
पलट कर तुम भी
कुछ कहोगे मुझको
सिलसिला बंद नहीं होगा
बहस में बदल जाएगा
दोनों तरफ त्योंरिया
चढ़ेगी
अपनी अपनी बात को
सही ठहराने की होड़
मचेगी
बहस झगडे मैं बदल
जायेगी
रिश्तों की बली चढ़
जायेगी
नहीं चाहता
छोटी सी बात
रिश्तों के टूटने का कारण
बन जाए
अब तय कर लिया
चुप रह कर काम
चलाऊंगा
अपमान को सहने की
शक्ति बढ़ाऊंगा
13-02-2012
165-76-02-12
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