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झीना सा पर्दा

"निरंतर" की कलम से....
"निरंतर" की कलम से....
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खूबसूरत
गुलाबी चेहरा
नागिन से लहराते
बाल
झील सी गहरी
नीली आँखें
रस भरे पतले होठ
मचल कर हवा में
उड़ता हुआ दुपट्टा
तितली जैसे
रंग बिरंगे परिधान में
परी लग रही थी
शिकारी से बेखबर
हिरनी की
मदमाती चाल से
चली आ रही थी
चाहते हुए भी उसे
छू नहीं सका
ख्वाब और हकीकत
के बीच
एक झीना सा पर्दा था
उधर वो थी ,इधर में था
ये हकीकत नहीं
रोज़ दिखने वाला
ख्वाब था
05-06-2012
563-13-06-12

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